ऊपर जिस
का अंत नहीं उसे आसमान कहते है,
जहान में जिस का अंत नहीं
उसे माँ कहते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऊपर जिस
का अंत नहीं उसे आसमान कहते है,
जहान में जिस का अंत नहीं
उसे माँ कहते है
दौलत छोड़ी दुनिया
छोड़ी सारा खज़ाना छोड़
दिया;
माँ के प्यार में दीवानों ने राज घराना
छोड़ दिया;
.
दरवाज़े पे जब लिखा हमने नाम अपनी माँ का;
मुसीबत
ने दरवाज़े पे आना छोड़ दिया।
बुलंदियों का बड़े से
बड़ा निशान छुआ,
उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ
तुम्हें ग़ैरों से कब
फुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न
तुम ख़ाली न हम ख़ाली.
ना जाने किसकी
दुआओं का फैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..
जब कभी खुद की
हरकतों पर शर्म आती है …..
चुपके से भगवान को भोग खिला देता
हूँ …..
ऊसके जैसी कोई ओर
कैसे हो सकती है ,
और अब तो वो खुद अपने जैसी नहीं रही..
ये तेरा अकड़ तो दो
दिन की कहानी है ।
पर मेरा attitude तो खानदानी है।
वो अच्छे हैं ………….तो
हैं,
हमारा तो बुरा हाल कर रखा हैं…
जिस दिन मेरी मौत की
खबर मिलेगी तब लोग यही कहेंगे”
.
बन्दा कभी मिला तो नही था
लेकिन पोस्ट
अच्छी डालता था।।