अपनी जमीन, अपना नया आसमान खुद पैदा करुगा
मांगने से ऐसी ज़िंदगी कब मिलती है
खुद ही अपना नया इतिहास पैदा कर…
Category: Zindagi Shayri
ज़मीन वालों की
कोई वकालत नहीं
चलती ज़मीन वालों की ,
जब कोई फैसला आसमान से उतरता है
..!!
प्यार से ना देखा
तेरे बाद किसी को
प्यार से
ना देखा हमने…..
हमें इश्क का शौक है, आवारगी का
नही…
तुम्हारी शातिर नजरे
तुम्हारी शातिर नजरे कत्ल करने में
माहिर हैं,
.
.
.
तो सुन लो. हम भी मर-मर
कर जीने में उस्ताद हो गये है।
ख्याल आजाद होते
ख्याल आजाद होते है…
पंख तो इच्छाओ के होते है।
बहुत खुश हूँ
मुझपे हंसने की ज़माने को सजा दी जाये …
मैं बहुत खुश हूँ ये अफवाह उड़ा दी जाये…
कद नही बढता
उठा के एडियाँ चलने से कद नही बढता ..
मेरे रकीब से कह दो की अपनी हद में रहे…
बात होने वाली हे
सास रुक रुक कर आ रही हे मेरी, कुछ बात होने वाली हे,
या बहुत दूर जा चूका हे कोई,
या मुलाकात होने वाली हे….
मर जाए तो
मर जाए तो बढ़ जाती है इंसान की कीमत ..
जिंदा रहे तो जीने की सजा देती है दुनिया.
हमेशा खामोश रहना..
उस जगह हमेशा खामोश रहना….
जहां , दो कौड़ी के लोग ,,
अपनी हैसियत के “गुण-गान” गाते हों….।