मुझे दर्द दिया है!

नफरत ही सही तुमने मुझे कुछ तो दिया है!
इतनी बड़ी दुनिया में मुझे तन्हा किया है!
मैं तुमसे शिकायत भी यार कर नही सकता,
रब ने ही वसीयत में, मुझे दर्द दिया है!
तुम मुझको आंसुओं की, ये बूंदें न दिखाओ,
मैंने तो आंसुओं का समुन्दर भी पिया है!
जाने क्यूँ दर्द ज़ख्मों से बाहर निकल आया,
ज़ख्मों का तसल्ल्ली से रफू तक भी किया है!
तुम मुझे कोई उजाला न दिखाओ,
अब मेरा ही दिल मानो कोई जलता दिया है!”

आदते बुरी नही

आदते बुरी नही हमारी
बस थोडे शौक उँचे है
वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही,
की हम देखे और वो पूरा ना हो
हम बादशाहो के बादशाह है,
इसलीए गुलामो जैसी हरकते नही,
नोटो पर फोटो हमारा भी हो सकता,
पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फीतरत नही