जिंदगी,, सुन,,, तू यहीं रुकना
हम जमाना बदल के आते है,,,,,!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिंदगी,, सुन,,, तू यहीं रुकना
हम जमाना बदल के आते है,,,,,!
नफरत ही सही तुमने मुझे कुछ तो दिया है!
इतनी बड़ी दुनिया में मुझे तन्हा किया है!
मैं तुमसे शिकायत भी यार कर नही सकता,
रब ने ही वसीयत में, मुझे दर्द दिया है!
तुम मुझको आंसुओं की, ये बूंदें न दिखाओ,
मैंने तो आंसुओं का समुन्दर भी पिया है!
जाने क्यूँ दर्द ज़ख्मों से बाहर निकल आया,
ज़ख्मों का तसल्ल्ली से रफू तक भी किया है!
तुम मुझे कोई उजाला न दिखाओ,
अब मेरा ही दिल मानो कोई जलता दिया है!”
और भी बनती लकीरें, दर्द की शायद कई
शुक्र है तेरा खुदा, जो हाथ
छोटा सा दिया..
आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और
जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले, हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले।
तुम मुझे भूल जाओ ..ये तुम्हारी मर्जी ..
“लेकिन” मैं क्या करूँ ..
मुझे तो भूलना भी नहीं आता !
किस्मत बुरी या मै बुरा फैसला हो ना सका !
मै सबका होता गया कोई मेरा हो ना सका !!
आदते बुरी नही हमारी
बस थोडे शौक उँचे है
वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही,
की हम देखे और वो पूरा ना हो
हम बादशाहो के बादशाह है,
इसलीए गुलामो जैसी हरकते नही,
नोटो पर फोटो हमारा भी हो सकता,
पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फीतरत नही
अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर,
शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के
चर्चे हैं
छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं