मै तो तेरे एहसास से ही महक गया…
खुदा जाने इश्क होता तो क्या होता…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मै तो तेरे एहसास से ही महक गया…
खुदा जाने इश्क होता तो क्या होता…
रात की झील में गोते लगाने चल दिए थे
तुम थी,
मैं था,
और एक जगमगाती कश्ती थी !
नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मैं..
मुहोब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हूँ मैं..
जिन्दगी जख्मो से भरी है,
वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
हारना तो है एक दिन मौत से,
फिलहाल दोस्तों के साथ जिन्दगी जीना सीख
लो..!!
आज अपनी फालतू चीजें बेच रहा हूँ मैं,
है कोई ऐसा जिसे मेरी शराफत चाहिए !!
बन के तुम मेरे मुझको मुक्कमल करदो,
…
अधूरे अधूरे तो अब, हम खुद को भी अच्छे नही लगते ।
दोनों की पहली चाहत थी ,दोनों टूट के मिला करते
थे,
वो वादे लिखा करती थी ,में कसमे
लिखा करता था ।।
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर…
.
चीख भी लेता हू….और आवाज भी नही होती।
बदल गया है जमाना, पहले मां के पैर छूकर घर से निकलते थे…
और अब मोबाईल फोन की
बैटरी फुल करके….
ग़रीब समझकर आज उसने उठा दिया हमें अपनी महफ़िल से ?
.
कोई मेरी ख़ातिर पूछे उनसे, क्या चाँद की महफ़िल में सितारे
नहीं होते ??