नेताओ के वादे और सनम तेरी बातें,
दोनों ही दिल और जेब पर सीधी मार करती हैं।
Category: Zindagi Shayri
आखिर कब समझोगे
आखिर कब समझोगे तुम मुहब्बत को!
अरे इसमें दग़ा नही, वफ़ा की जाती है!!
वो दिल से
एक खेल रत्न उसको भी दे दो
बड़ा अच्छा खेलती है वो दिल से
इश्क़ बनाने वाले
ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूँ…
मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता
Dosto ज़िंदगी में
Dosto ज़िंदगी में बिछड़ गए अगर इतेफ़ाक़ से__
तो हमें देखके नज़रें ना चुरा लेना!
कहीं देखा है आपको शायद__
बस यही कह के हाथ मिला
दर्द से इतना हुआ
खाकसार’ नजात मिल न सकी शामे दर्द से
इतना हुआ कि रस्मे दुआ आ गयी मुझे
भूल नही पाओगे मुझे..
उस दिन ही दिल से उतरगयी थी वो,जिस
दिन घमंड से बोली,”भूल नही पाओगे
मुझे”..!!
सफ़र मैंने किया
क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया,
उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया ।
तू तो नफ़रत
तू तो नफ़रत भी न कर पाएगा उस शिद्दत के साथ,
जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया |
सलीका ही नहीं
सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है