जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो
मज़े से भीगते रहे बारिश में ….
जिनके जेब में नोट थे वो छत
तलाशते रह गए…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो
मज़े से भीगते रहे बारिश में ….
जिनके जेब में नोट थे वो छत
तलाशते रह गए…
मंदिर में वो भगवान है जिसे
हमनें बनाया,
और घर में माँ बाप है जिन्होनें हमें बनाया…
उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा
हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़
उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचोली का …
मिलेगी कामयाबी, हौसला
कमाल का लिए बैठा
हूँ l
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे
मुताबिक..
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक …
मुझे क्या
फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त…
बेमिसाल लिए बैठा हूँ…
कुछ शब्द हि तो थी ये जिन्दगी मेरी ..तूने साथ
मिलकर कहानी बना दी …!!
मैं फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिंदगी में खुशियाँ यारो दुआ करना इस बार किसी से मोहब्बत न हो..!!
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये.
कभी पैरों से रौंदी थी यहीँ परछाइयां हमने।
कभी तिनके कभी पत्ते कभी खुंश्बू उडा लाई, हमारे घर तो आंधी भी कभी तनहा नहीं आई
माना के प्यार ख़रीदा नहीं जाता दोस्तों, लेकिन उसकी कीमत जरुर चुकानी पड़ती है.
धोखा मिला जब प्यार में; ज़िंदगी में उदासी छा गयी; सोचा था छोड़ दें इस राह को; कम्बख़त मोहल्ले में दूसरी आ गयी!
आज का ज्ञान –
किसी महिला को घूरती आपकी निगाहें…. आपके चरित्र का चीर हरण है..