ज़मूरे ने कहा-सारा
तमाशा पेट की खातिर
कोई जादू नहीं है सिर्फ हाथों की सफाई है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़मूरे ने कहा-सारा
तमाशा पेट की खातिर
कोई जादू नहीं है सिर्फ हाथों की सफाई है
एक किश्त ज़िन्दगी की
और भर दी है आज..
एक खाता मौत का बस खुलवाना बाकी है..
ज़िन्दगी भर रामलीला में लड़े सच की तरफ
मज़हबी दंगे में वो मारे गए रहमत मिया|
बाढ़ का पानी घरों की छत तलक तो आ गया
रेडियो पर बज रहा मौसम सुहाना आएगा|
जलील ना किया करो किसी फकीर को
ऐ दोस्त….
वो भीख लेने नही तुम्हें दुआएँ देने आता है..
जब तक “सत्य” घर से बाहर निकलता है.
तब तक “झूठ” आधी दुनिया घूम लेता है”
कांटे वाली तार पे किसने गीले कपड़े टांगे हैं
खून टपकता रहता है और नाली में बह जाता है
क्यूँ इस फ़ौजी की बेवा हर रोज़ ये वर्दी धोती है
वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने…
अब से जल्दी सोया करेँगेँ, मोहब्बत छोड दी मैँने…!!!
नाप के, वक़्त भरा जाता है,हर रेत घड़ी में
इक तरफ़ ख़ाली हो जब फिर से उल्ट देते हैं उसको
उम्र जब ख़तम हो,क्या मुझ को वो उल्टा नहीं सकता
कुछ लोग यूँ ही शहर में हमसे भी ख़फा हैं
हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती