मीलों दूर चलाती रही ये जिन्दगी
हकदार मैं सिर्फ दो गज जमीन की थी
Category: Zindagi Shayri
वापसी का तो
वापसी का तो सवाल ही नही…..
आँसुओ की तरह निकला हूँ मै…..
उसके जैसी कोई
उसके जैसी कोई दूसरी कैसे हो सकती है,
अब तो वो खुद भी खुद के जैसी नहीं रही !!
अगर समझ पाते तुम
अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो,
हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!
आ बैठ मेरे पास
आ बैठ मेरे पास
बरबाद अब कुछ
रातें करते हैं
बन जा तू शब्द मेरे
फिर दिल की,
दिल से
कुछ बातें
करते हैं…….
इश्क़ के आगोश में
इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो,
नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..
तू चाँद का टुकड़ा नहीं
तू चाँद का टुकड़ा नहीं, चाँद तेरा टुकड़ा है ।
टूटते तारे नहीं, फ़िदा होते सितारे देख तेरा मुखड़ा है ।
ख़ूबसूरती देख तेरी अप्सरा का दिल जलन से उखड़ा है
दुनिया में तेरे वजूद से, स्वर्ग भी लगता उजड़ा है ।
जो कोई समझ न सके
जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम,
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम,
छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर,
जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।
हो सकता है
हो सकता है की मैं तेरी खुशियाँ बाँटने ना आ सकू,
गम आये तो खबर कर देना वादा है की सारे ले जाऊँगा…
कैसे जिंदा रहेगी
कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये !
,
पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे….