ज़बान कहने से

ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,

ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!

मेरे बस में

मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं,
लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।