लहजा शिकायत का था मगर….
सारी महफिल समझ गई “मामला मोहब्बत का है”
Category: Zindagi Shayri
आज वो मशहूर हुए
आज वो मशहूर हुए, जो कभी काबिल ना थे..
मंज़िलें उनको मिली, जो दौड़ में शामिल ना थे.!!
मुकम्मल इश्क की
मुकम्मल इश्क की तलबगार नहीं हैं आँखें…
थोडा-थोडा ही सही.. तेरे दीदार की चाहत है…
अब ना करूँगा
अब ना करूँगा अपने दर्द को बयाँ किसीके सामने,
दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना !!
तू बात करने का मौका
तू बात करने का मौका तो दे तेरी कसम,
रूला दूंगा तुजे तेरी ही गलतियाँ गिनाते गिनाते…
कौन कहता है
कौन कहता है दुआओ के लिए हाथो की जरुरत होती है कभी अपनी माँ की आँखों में झांक करके देखिये हुज़ूर
वो अनजान चला है
वो अनजान चला है, जन्नत को पाऩे के खातिर,
बेखबर को इत्तला कर दो कि माँ-बाप घर पर ही है..
देख कर उसको
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,…..
नफरत बता रही है
तूने मोहब्बत गज़ब की थी.
सूखे पत्तो की तरह
सूखे पत्तो की तरह बिखरा हुआ था मै,,
किसी ने बड़े प्यार से समेटा, और फिर आग लगा दी..!
गलतफहमियों के सिलसिले
गलतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं,
कि हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है….