मोहब्बत का असर

मोहब्बत का असर कुछ इस तरह जिन्दा कर देता हूँ मैं मीत,
…बेवफाओं को भी गले लगाकर शर्मिंदा कर देता हूँ !!

दर्द अब इतना की संभलता

दर्द अब इतना की संभलता नही है
तेरा दिल मेरे दिल से मिलता नही है
अब और किस तरह पुकारूँ मैं तुम्हे
तेरा दिल तो मेरे दिल की सुनता भी नही है |

आसाँ कहाँ था

आसाँ कहाँ था कारोबार-ए-इश्क
पर कहिये हुजूर , हमने कब शिकायत की है ?

हम तो मीर-ओ-गालिब के मुरीद हैं
हमेशा आग के दरिया से गुजरने की हिमायत की है !