फ़रार हो गई होती कभी की रूह मेरी !
बस एक जिस्म का एहसास रोक लेता है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फ़रार हो गई होती कभी की रूह मेरी !
बस एक जिस्म का एहसास रोक लेता है !!
जीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने…जवाब देने से पहले छलक गई आँखें मेरी…
नज़र बन के कुछ इस क़दर
मुझको लग जाओ..!!
कोई पीर की फूँक
न पूजा न मन्तर काम आये….!!!!
उन्होंने बहुत कोशिश की,
मुझे मिट्टी में दबाने की
लेकिन उन्हें मालूम नहीं
था कि मैं “बीज” हूँ…..
शुक्र है ख़्वाबों ने रात सम्भाली हुई है
वरना.. नींद किसी काम की नहीं यारों ..
जोड़ियां आसमान से बनकर आती है।
मतलब काम तो ढंग से वहां भी नहीं होता ।।
इन्सान ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही मोहब्बत करता है …. बाकी की मोहबत्तें वो पहली मोहब्बत भुलाने के लिए करता है।
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं है,
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चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए…
इम्तेहान तेरी तवज्जो का है अब ऐ शाकी
हम तो अब ये भी न बतायेंगे की हम प्यासे हैं
टपकती है निगाहों से, बरसती है अदाओं से,
कौन कहता है मोहब्बत पहचानी नहीं जाती|