तुमने कभी समझा ही नहीं

तुमने कभी समझा ही नहीं ना समझना चाहा, हम चाहते ही क्या थे तुमसे तुम्हारे सिवा।।

फुरसत में ही

फुरसत में ही याद कर लिया करो हमें, दो पल मांगते है पूरी जिंदगी तो नही।।

लगने दो आज महफ़िल

लगने दो आज महफ़िल, चलो आज शायरी की जुबां बहते हैं . तुम उठा लाओ “ग़ालिब” की किताब,हम अपना हाल-ए-दिल कहते हैं.|

लत एसी लगी है

लत एसी लगी है की तेरा नशा मुझसे छोड़ा नहीं जाता, अब तो हकीमों का कहना है की एक बूंद इश्क भी जानलेवा होगा !!

अजीब पहेलियां है

अजीब पहेलियां है हाथो की लकीरों में, सफर लिखा है मगर हमसफर नहीं लिखा !!

खफ़ा रहने का शौक

खफ़ा रहने का शौक भी पूरा कर लो तुम, लगता है तुम्हें हम ज़िन्दा अच्छे नहीं लगते !!

होठों की हँसी को न समझ

होठों की हँसी को न समझ हकीकत-ए-जिन्दगी दिल में उतर कर देख कितने उदास हैं हम उनके बिन…!!!

ना हमारी चाहत

ना हमारी चाहत इतनी सस्ती है ना ही नफरत, हम तो ख़ुदा के वो बंदे है जो बस दुआओं में ही मिलते है !!

कितना खुशनुमा होगा

कितना खुशनुमा होगा वो मेरी मौत का मंजर भी, जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आंसू बहायेंगे !!

दिल की ख़ामोशी पर

दिल की ख़ामोशी पर मत जाओ साहेब, राख के नीचे अक्सर आग दबी होती है !!

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