जाने कब उतरेगा कर्ज उसकी मोहब्बत का,
हर रोज आँसुओं से इश्क की किस्त भरता हूँ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जाने कब उतरेगा कर्ज उसकी मोहब्बत का,
हर रोज आँसुओं से इश्क की किस्त भरता हूँ..
सोच रहा हूँ कि लिखूं कुछ ऐसा आज जिसे पढ़,
वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना..
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसों की चाहत को,
दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…
अब ना करूँगा अपने दर्द को बया किसी के सामने,
दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना…!!!
लोग आज कल मुझसे मेरी खुशी का राज पूछते है, .
अगर तेरी इजाजत हो तो तेरा नाम बता दूँ !!
तू मुझे गुनहगार साबित करने की ज़हमत ना उठा,
बस ये बता,
क्या-क्या कुबूल करना है…!!
बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है. . .
आप खुश रहें, मेरा क्या है,
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है. . .
कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के क़ाबिल!
जब हम आदतें बदलते हैं,तो तुम शर्तें बदल देते हो|
मैंने पूछा एक पल में जान कैसे निकलती है,
उसने चलते चलते मेरा हाथ छोड़ दिया..
वो जब अपने हाथों की लकीरों में मेरा नाम ढूँढ कर थक गये
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ़ मेरे हों……….