कैसे करूँ मैं साबित,
कि तुम याद बहुत आते हो,
एहसास तुम समझते नही,
और अदाएं हमे आती नहीं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कैसे करूँ मैं साबित,
कि तुम याद बहुत आते हो,
एहसास तुम समझते नही,
और अदाएं हमे आती नहीं
मेरी तमाम उलझने सुलझ जाती हैं…!जब तेरी उँगलियाँ मेरी उँगलियों में उलझ जाती हैं…!!
इंसान अगर ज्यादा मजबूत हो जाये,
तो रिश्ते कमजोर पड़ जाते है।
मोहब्ब्बत के एहसास ने हम दोनों को छुआ था
फर्क सिर्फ इतना था की उसने किया था,औरमुझे हुआ था !!
हमदर्दी ना करो, मुझसे ए मेरे हमदर्द यारो…..
वो भी मेरे हमदर्द थे, जो दे गये दर्द हजारों…
आइना देख के बोले ये संवरने वाले
अब तो बे मौत मरेंगे मेरे मरने वाले |
ज़ुल्म इतना ना कर की लोग कहेँ तुझे दुश्मन मेरा..
हमने ज़माने को तुझे अपनी जान बता रखा है..
उड़ने दो मिट्टी,कहाँ तक उड़ेगी,
हवा का साथ छूटेगा, ज़मीं पर आ गिरेगी…!
मेरी चादर तो छिनी थी शाम की तनहाई में,
बेरिदाई को मेरी फिर दे गया तशहीर कौन…
क़त्ल करने की अदा भी हसीं क़ातिल भी हसीं,
न भी मरना हो तो मर जाने को जी चाहे है…