मुझे इस बात का ग़म नहीं की तुमबेवफा निकले,
अफसोस तो इस बात का हैं कि लोग सच निकले…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे इस बात का ग़म नहीं की तुमबेवफा निकले,
अफसोस तो इस बात का हैं कि लोग सच निकले…
मुझे इस बात का ग़म नहीं की तुमबेवफा निकले,अफसोस तो इस बात का हैं कि लोग सच निकले…
मुझे इस बात का ग़म नहीं की तुमबेवफा निकले,अफसोस तो इस बात का हैं कि लोग सच निकले…
पढ़ते क्या हो आंखों में मेरी कहानी….
मस्ती में मगन रहना तो आदत है मेरी
पुरानी…
सोचता हूं जिन्दा हूं, मांग लूं सब से माफी,
ना जाने मारने के बाद, कोई माफ करे या न करे|
छुपे छुपे से रहते हैं सरेआम नही हुआ करते,
कुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं हुआ करते|
उम्दा सारी आदतें, फूटे हुए नसीब।
कच्चे धागे से हुई, माला बेतरतीब।।
बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था…
बेशक ख्वाब ही था मगर.. हसीन कितना था…
मुकद्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो,
देर से क़िस्मत खुलने वालों का दुगुना फ़ायदा हो।
तेरा हुस्न एक जवाब,मेरा इश्क एक सवाल ही सही
तेरे मिलने कि ख़ुशी नही,तुझसे दुरी का मलाल ही सही
तू न जान हाल इस दिल का,कोई बात नही
तू नही जिंदगी मे तो तेरा ख़याल ही सही|