एक ही चौखट पे

एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है
भटक जाते है वो लोग जिनके हजारों खुदा होते है।

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;

ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;

मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;

सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।