कैसे कहूं बड़ी

कैसे कहूं बड़ी बैचेन सी कटती हैं अब अपनी रातें
ना भी बताऊं तो चादर की सलवटें बयां कर देती हैं..

तुम्हें भूले पर

तुम्हें भूले पर तेरी यादों को ना भुला पाये;

सारा संसार जीत लिया बस एक तुम से ना हम जीत पाये;

तेरी यादों में ऐसे खो गए हम कि किसी को याद ना कर पाये;

तुमने मुझे किया तनहा इस कदर कि अब तक किसी और के ना हम हो पाये।

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;

ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;

मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;

सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।