मुसकुराहटे झुठी भी हुआ करती है,
देखना नहीं समझना सीखो…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुसकुराहटे झुठी भी हुआ करती है,
देखना नहीं समझना सीखो…
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए
जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
कल रात मैने अपने दिल से भी रिश्ता तोड दिया…!
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पागल तेरे को भूल जाने की सलाह दे रहा था…
मिठी बाते ना कर ऐ नादान परिंदे,
इसांन सुन लेगा तो पिंजरा ले आएगा..
जैसा दोगे वैसा ही पाओगे..
फ़िर चाहे इज्ज़त हो या धोखा..!!
उस मोड़ से शुरू करें
चलो फिर से जिंदगी
हर शय हो जहाँ नई सी
और हम हो अज़नबी
मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे
सनम का,
उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में।
पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
बचपन —
बड़ा होकर पायलट बनूँगा, डॉक्टर
बनूँगा या इंजीनियर बनूँगा….
जवानी —
“अरे भाई वो चपरासी वाला फॉर्म
निकला की नही अभी तक
क्युं….उसको मनाने की मिन्नतें करू मै..
मुझे उस से मोहब्बत है….कोई मतलब तो नही..!!