मौसम फिर से

आज ये

मौसम फिर से करवा रहा है मुझसे शायरी…..!!
वरना इस दिल के

जज़्बातों को दबे तो ज़माना हो गया…..!!

चांद की तरह

तू बिल्कुल चांद की तरह है…

ए सनम..,

नुर भी उतना ही..

गरुर भी उतना ही..

और दूर भी उतना ही.!.