शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं,
लिखते नहीं ।
वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं,
लिखते नहीं ।
वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥
हकिकत” से बहोत दूर है,
“ख्वाहिश” मेरी..!!!
फिर भी एक “ख्वाहिश” है
कि एक ख्वाब “हकिकत” हो
जाये..!
वक्त सीखा देता है
फलसफा जिंदगी
का
फिर
नसीब क्या !
लकीर क्या !!
तकदीर क्या !!!
बदल जाओ भले तुम पर ये ज़हन में रखना..कही
पछतावा ना बन जाए हम से बेरुखी इतनी.
शुक्र है कि ये दिल…सिर्फ़ धड़कता है…अगर
बोलता…तो कयामत आ जाती….
भूल सकते हो तो भूल जाओ इजाज़त है तुम्हे….
न भूल पाओ तो लौट आना एक और भूल की इजाज़त है तुम्हें…..
कुछ नही मिलता जितनी मर्जी वफा कर लो किसी से…
मेरे दोस्त…
जब वक़्त वफ़ा ना करे तो….
वफादार भी बेवफा हो जाता है.
वास्ता नही रखना तो..
फिर मुझपे..
नजर क्यूं रखता है?
मैं किस हाल में
जिंदा हूँ…
तू ये सब..
खबर क्यूं रखता है..!!
परिणामो की चिंता करना हमारा कार्यक्षेत्र नहीं हे..
.
.
हम तो सिर्फ कार्य करने के लिए उत्तरदायी हे…
……
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है,
.
उन्हें कैसे समझाऊ एक ख्वाब अधुरा है ….
वर्ना जीना मुझे भी आता था…..
…..