अजीब तरह के,
इस दुनीयाँ में मेले है… !
दिखती भीड़ है और,
चलते सब अकेले है… !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अजीब तरह के,
इस दुनीयाँ में मेले है… !
दिखती भीड़ है और,
चलते सब अकेले है… !!
आज मौसम ने भी की बचकानी हरकत दो बून्द
कशिश के साथ बस एहसास दिलाकर
चला गया..
महसूस कुछ यूँ हुआ कि वो पास आकर
चला गया..!!
बहुत रोकना चाहा पर रोक ना सका खुद को,
ये कमबक्त मोहब्बत भी गुनाहों जैसी है……….
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है.
मेरे बस मे हो तो लहरो को इतना हक़भी ना दू … लिखु नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू !
छुपा लो इस तरह से मुझे अपनी बाहो मेँ
कि
हवा को भी गुजरने की इजाजत लेनी पडेँ
Tere hontho ko chuma to ye ehsaas hua mujhe…Ki ek paani hi nahi hai pyaas bhujhane ke liye…!!
वादा करते हैं दोस्ती निभाएंगे कोशिश यही रहेगी तुझे ना सताएँगे
ज़रूरत पड़े तो दिल से पुकार ना
मर भी रहे होंगे तो मोहलत लेकर आयेंगे
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना…. ऐ दोस्तों…… हम वादे पर जिंदगी गुज़ार देते हैं…..!!
आदत’ बना ली है। मैंने खुद को तकलीफ देने की । ताकि जब कोई अपना । तकलीफ दे तो फिर ” तकलीफ ” न हो.