नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है
परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है
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उन चराग़ों में तेल
उन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे
कोशिश करते तो
खता इतनी थी कि उनको पाने की कोशिश की,,,
अगर छिनने की कोशिश करते तो बेशक वो हमारे होते..
तेरी तो फितरत थी
तेरी तो फितरत थी सबसे बात करने कि,और हम बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे…
इस बाज़ार को
खोल बैठे हैं दुकान
हुस्न
फरोशी की
कुछ लोग इस बाज़ार को
नाम इश्क़ का देते हें
जानते हुए भी
अकसर हकीकत जानते हुए भी,
सहारा-ए-फसाना लिये जा रहे हैं …!
बगावत तो कर
तु जमाने से बगावत तो कर,
सारी दुनिया से लड़ने के हमारे ईरादे है,,
होगी तू हसीन राजकुमारी तो क्या हुआ हम भी बिगडे शहजादे है.
ताकत पे सियासत
ताकत पे सियासत की ना गुमान कीजिये,
इन्सान हैं इन्सान को इन्सान समझिये।
यूँ पेश आते हो मनो नफरत हो प्यार में,
मीठे बोल न निकले क्यूँ जुबां की कटार से।
खुद जख्मी हो गये हो अपने ही कटार
से,
सच न छुपा पाओगे अपने इंकार से।
आँखें भुला के दिल के आईने में झाकिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान ही समझिये।
कैसी ख़ुशी है आप को ऐसे आतंक से ?
कैसा सकुन बहते हुए खून के रंग से
तलवारों खंजरों में क्यूँ किया सिंगार है,
आप भी दुश्मन हैं आपके इस जंग में।
खुद से न सही अपने आप से डरिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान समझिये।
खुद का शुक्र है आप भी इन्सान हैं,
इंसानियत से न जाने क्यूँ अनजान हैं।
शुक्र कीजिये की खुदा मेहरबान है,
वरना आप कौन ? क्या पहचान है।
सच यही है, अब तो ये जान लीजिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान समझिये।
सारी दुनिया लगी है
याददाश्त की दवा बताने में सारी दुनिया लगी है,
तुमसे बन सके तो तुम हमें भूलने की दवा बता दो..
इंतज़ार रहता है
इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा;
यादें काटती हैं ले-ले के नाम तेरा;
मुद्दत से बैठे हैं इंतज़ार में तेरे…
कि आज आयेगा कोई पैगाम तेरा…