उर्दू है मेरा
नाम मैं खुसरू की पहेली
मैं मीर की हम-राज़ हूँ ग़ालिब की सहेली
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उर्दू है मेरा
नाम मैं खुसरू की पहेली
मैं मीर की हम-राज़ हूँ ग़ालिब की सहेली
अफसोस
तो है तेरे बदल जाने का मगर,
तेरी कुछ बातों ने मुझे जीना सिखा
दिया…॥
बेगाना हमने तो नहीं
किया किसी को…
लेकिन जिसका दिल भरता गया वो दूर जाता
गया !!!
ए मौसम तू चाहे कितना भी बदल जा
पर,
इंसान के जैसे बदलने का हुनर तुझे कभी नही आएगा…॥
जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो
मज़े से भीगते रहे बारिश में ….
जिनके जेब में नोट थे वो छत
तलाशते रह गए…
मंदिर में वो भगवान है जिसे
हमनें बनाया,
और घर में माँ बाप है जिन्होनें हमें बनाया…
उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा
हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़
उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचोली का …
मिलेगी कामयाबी, हौसला
कमाल का लिए बैठा
हूँ l
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे
मुताबिक..
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक …
मुझे क्या
फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त…
बेमिसाल लिए बैठा हूँ…
कुछ शब्द हि तो थी ये जिन्दगी मेरी ..तूने साथ
मिलकर कहानी बना दी …!!
मैं फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिंदगी में खुशियाँ यारो दुआ करना इस बार किसी से मोहब्बत न हो..!!
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये.
कभी पैरों से रौंदी थी यहीँ परछाइयां हमने।