मत पूछो कि

मत पूछो कि मै यह अल्फाज कहाँ से लाता हूँ,
उसकी यादों का खजाना है, लुटाऐ जा रहा हूँ मैं ।

कहीं किसी रोज यूँ

कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…

कुछ तो सोचा होगा

कुछ तो सोचा होगा कायनात ने
तेरे-मेरे रिश्ते पर…

वरना इतनी बड़ी दुनिया में
तुझसे ही बात क्यों होती….

तेरे गुरूर को

तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,

जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!