तुझको रुसवा न किया ख़ुद भी पशेमाँ न हुये,
इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुझको रुसवा न किया ख़ुद भी पशेमाँ न हुये,
इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने..!!
ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,
ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!
कलम खामोश पड़ी है मेरी,
या तो दर्द दे जाओ या फिर मोहब्बत..
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना……
कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….
मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं,
लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।
रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते,
जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!
कहती है मुझसे की तेरे साथ रहूँगी सदा,
बहुत प्यार करती है, मुझसे तन्हाई मेरी !!
काश पगली तेरे दिल के भी चुनाव होते कम से कम उमीद्दवार बनके तेरे सामने तो खडे होते.!
जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं।