तारीफ़ करने वाले बेशक आपको पहचानते होंगे,
मगर फ़िक्र करने वालो को आपको ही पहचानना होगा
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तारीफ़ करने वाले बेशक आपको पहचानते होंगे,
मगर फ़िक्र करने वालो को आपको ही पहचानना होगा
जब मोहब्बत बेहिसाब की तो जख्मों का हिसाब क्या करना?
अक्ल कहती है मारा जाएगा, दिल कहता है देखा जाएगा।
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला
एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब…
अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..
बड़ा खूबसूरत सा रिश्ता है तेरा और मेरा..
न तूने कभी बाँधा और न मैने कभी छोड़ा !!
खत की खुशबु बता रही है….
लिखते वख्त उनके बाल खुले थे…
जरुरी नहीं की काम से ही इंसान थक जाए
फ़िक्र…धोके.. फरेब भी थका देते है इंसान को… जिंदगी में मेरे दोस्त ..
पतझड़ को भी तू फुर्सत से देखा कर ऐ दिल,
बिखरे हुए हर पत्ते की अपनी अलग कहानी है।
जो आनंद अपनी
छोटी पहचान बनाने मे है,
वो किसी बड़े की
परछाई बनने मे नही है..!!
तेरी चाहत तो मुक़द्दर है, मिले न मिले…
राहत ज़रूर मिल जाती है, तुझे अपना सोच कर…