माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर…
बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर…
बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…
लगने दो आज महफिल ….
शायरी कि जुँबा में बहते है ..
तुम ऊठा लो किताब गालिब कि ….
हम अपना हाल ए दिल कहते है
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते
मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत
बहुत आसाँ हैं आदमी का क़त्ल मेरे मुल्क में,
सियासी रंजिश का नाम लेकर घर जला डालो…..
दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है,
और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..
अपने हाथों की हथेली पर उसका नाम तो लिख
दिया…
पर ये सोच कर बहुत रोया के तकदीर तो खुदा लिखता है..
एक ही बात सच है दुनिया में…आप किसी को हमेशा खुश नहीं रख सकते
हर शख्स परिंदों का हमदर्द
नही होता मेरे दोस्त,
बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में,
जाल बिछाने वाले !!
जो बेसब्र ना हो,
तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..