अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना..
क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
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कई रिश्तों को
कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही
निकला,
जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं
होती…..
मुझ पर इलज़ाम झूठा है ….
मुझ पर इलज़ाम झूठा है ….
मोहब्बत की नहीं थी….
हो गयी थी
हिचकियों में वफ़ा
हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..!
कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से ..
हमने भी मुआवजे की अर्जी
हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है साहब,
उनकी यादों की बारिश ने काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!
एक ताबीर की सूरत
एक ताबीर की सूरत नज़र आई है इधर
सो उठा लाया हूँ सब ख़्वाब पुराने वाले
जो तालाबों पर
जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ…
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते..!!!
बस यही सोच कर
बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…
एक मुद्दत से
एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…!
एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!
कागज़ पर उतारे
कागज़ पर उतारे
कुछ लफ्ज़,
ना खामखा थे..
ना फ़िज़ूल थे..
ये वो जज़्बात थे..
लब जिन्हें कह ना पाएं
थे कभी…!!