देर तलक सोने की आदत

देर तलक सोने की आदत छूट गयी
माँ का आँचल छूटा जन्नत छूट गयी

बाहर जैसा मिलता है खा लेते हैं
घर छूटा खाने की लज़्ज़त छूट गयी

एक लाइन में

एक लाइन में क्या तेरी तारीफ़ लिखूँ………
पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये…..

याद है मुझे रात थी

याद है मुझे रात थी उस वक़्त जब शहर तुम्हारा गुजरा था फिर भी मैने ट्रेन की खिडकी खोली थी…

काश मुद्दतो बाद तुम दिख जाओ कहीं….