ज़िंदगी
ज़िंदा-दिली का है नाम……
,
,
मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं….
………….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़िंदगी
ज़िंदा-दिली का है नाम……
,
,
मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं….
………….
If you
don’t like who you are and where you are, don’t worry about it
because you’re not stuck either with who you are or where you
are. You can grow. You can change. You can be more than you
are. ….
…..
………?
अगर तुम्हें
खुशियाँ मिलने लगें तो, तीन
चीज़ मत भूलना..,..”अल्लाह को”,
उसकी “मखलूक को”, और
“अपनी
औकात” को..!!
ख़ुबसूरत था इस क़दर के महसूस ना
हुआ..
कैसे,कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया….
कब तक लफ़्ज़ों की
कारीगरी करता रहूँ…
…
समझ जाओ ना that I love you
लोग चाहते हैं कि आप
बेहतर करें,
लेकिन ये भी सत्य है कि वो कभी नहीं चाहते कि आप उनसे बेहतर करें !!!”
दूनिया का उसूल है जब तक काम है तब
तक तेरा नाम है वरना दूर से ही सलाम है
लौटा देता कोई
एक दिन
नाराज़ हो कर …
काश बचपन भी मेरा
कोई अवॉर्ड होता…
ऐ उम्र कुछ कहा मैंने,
शायद तूने सुना नहीं….
तू छीन सकती है बचपन मेरा , बचपना नहीं…
जो सपने हमने बोये थे
नीम की ठंडी छाओ में,
.
कुछ पनघट पर छूट गए कुछ कागज की नाव में.
स्याही की भी मंज़िल का
अंदाज़ देखिये :
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है,
जब कोई बिखेरता है, तो
अलफ़ाज़…बनाती है…!!