आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”.
भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”.
भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…
उसे भी दर्द है शायद बिछड़ने का,
गिलाफ वो भी बदलती है रोज तकिए का…!
शहर के परिन्दे भी जानते है पता मेरा,
बस तुम्हारे ही कदम इस चौखट पर पड़े नहीं !!
तकिये के नीचे दबा कर रखे है तुम्हारे ख़याल,
एक तस्वीर , बेपनाह इश्क़ और बहुत सारे साल.
सीधा साधा दीखता हूँ.. अब रोल बदल दूंगा, जिसदिन जिद में आ गया माहौल बदल दूंगा
तेरा ख़्याल चीनी का दाना हो जैसे..
मेरी उम्मीदें चीटियों की कतारों जैसी…
सुना था लोगों से
वक्त बदलता है और अब .
वक्त ने बताया के
लोग भी बदलते है …….
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों..!!!
इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो..!!!
कुछ बेरुखे रिश्तों ने तोङा है हमें..!फिर पूछते हो तुम्हें हुआ क्या है…
कुछ देर तो हँस लेने दो मुझे….
हर पल कहाँ उसे मैं भूल पाता हूँ….