ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कभी एक हसीन सा ख्वाब है
कभी जानलेवा अज़ाब है।
Category: Whatsapp Shayri
हमारा हाल क्या होता…
तुम्हारी बेरुखी पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने,
अगर तुम मेहरबां होती, हमारा हाल क्या होता….
तुम्हारी बेरूखी ने
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की……!
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते…..
दीवार क्या गिरी
दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की,
लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए
ज़ख्म ख़ुद सारी कहानी
ज़ख्म ख़ुद सारी कहानी कह रहे हैं ज़ुल्म की,
क्या करें फिर भी अदालत को गवाही चाहिए…
उम्मीद वफ़ा की
उम्मीद वफ़ा की,और तमन्ना जिस्म की
इन पढ़े-लिखों की मोहब्बत से तो, मैं गवांर ही अच्छा हूं|
वो लोग अपने आप में
वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे
जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके
दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी
दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी यही बहुत है,
सिकंदरो को अब जहान सारा मुबारक हो|
हर रात मैं लिखूं….
हर रात मैं लिखूं….
ज़रूरी तो नहीं….
कभी-कभी लफ्ज़ भी सोया करते है…
टूट पड़ती थीं
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देखकर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए|