गुलाबों को नहीं आया अभी तक इस तरह खिलना..,
सुबह को जिस तरह वो नींद से बे’दार होती है….
Category: Urdu Shayri
जिंदगी पर बस
जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं….
बहुत मजबूत रिश्ते थे मेरे….
पर बहुत कमजोर लोगों से…..
रिवाज़ ही बदल गए
सुना था वफा मिला करती हैं मोहब्बत में….
हमारी बारी आई तो रिवाज़ ही बदल गए …
दिल बेजुबान है
दिल बेजुबान है तो क्या,
तुम यूँ ही तोड़ते रहोगे..?!
कागज़ की नाव
बस इतनी सी बात समंदर को खल गईं,
एक कागज़ की नाव मुझ पर कैसे चल गई!
तुम एक महंगे
तुम एक महंगे खिलोने हो
और मै एक गरीब का बच्चा,
मेरी हसरत ही रहेगी तुझे अपना बनाने की !!
सवालों में ही
सवालों में ही रहने दो मुझको…
यकीं मानिए…
मैं जवाब बहुत बुरा हूँ…
ना चाहते हुवे
ना चाहते हुवे भी साथ छोड़ना पड़ा,,
मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है…
दरवाज़े से घर
सुख कमाकर दरवाज़े से घर में
लाने की कोशिश करते रहे ,
पता ही ना चला कि कब ….
खिड़कियों से उम्र निकल गई .
लाजमी तो नही
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..
तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..
तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”