कल के दिन सभी भारतीय थे …
आज फिर से अपने अपने धर्म में चले गए …..
कडवा सच
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कल के दिन सभी भारतीय थे …
आज फिर से अपने अपने धर्म में चले गए …..
कडवा सच
मै तो तेरे एहसास से ही महक गया…
खुदा जाने इश्क होता तो क्या होता…
रात की झील में गोते लगाने चल दिए थे
तुम थी,
मैं था,
और एक जगमगाती कश्ती थी !
नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मैं..
मुहोब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हूँ मैं..
जिन्दगी जख्मो से भरी है,
वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
हारना तो है एक दिन मौत से,
फिलहाल दोस्तों के साथ जिन्दगी जीना सीख
लो..!!
आज अपनी फालतू चीजें बेच रहा हूँ मैं,
है कोई ऐसा जिसे मेरी शराफत चाहिए !!
सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली,
तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ…….
उठ न जाए ऐतबार ज़माने का….!!
ऐ मुहब्बत, किसी को तो रास आ तू….!!!
लोग अक्सर शोर से उठ जाते है
मुझे तो उसकी ख़ामोशी सोने नही देती…………
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर…
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चीख भी लेता हू….और आवाज भी नही होती।