कुछ इस तरह से नाराज़ है वो हमसे,
जैसे उन्हे किसी और ने मना लिया हो|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ इस तरह से नाराज़ है वो हमसे,
जैसे उन्हे किसी और ने मना लिया हो|
कौन कहता है के मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह है,
बस कमबख्त गवाही नहीं देते ।।
कभी तो हिसाब करो हमारा भी,
इतनी मोहब्बत भला देता कौन है… उधार में..!!
सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल
रंग बन कर बिखर गया कोई………
दुश्मनी से मिलेगा क्या तुम को
दोस्त बन कर मिला करो हमसे
मिला जब भी समुन्दर सा मिला
तू मेरी प्यास के क़ाबिल कहाँ था
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर
धूप रहती है ना साया देर तक
हमारा अंदाज कुछ ऐसा है कि…
जब हम बोलते हैँ तो बरस जाते हैँ..
और
जब हम चुप रहते हैँ
तो लोग तरस जाते हैँ..!!
सब्र कर बन्दे, मुसीबत के दिन गुजर जायेगे.
आज जो तुजे देखके हस्ते है.
वो कल तुजे देखते रह जायेगे
मै लिखता हु शिकायते तेरी तु पढ़ती है मोहब्बत मेरी॥