इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
हमारे देश में हसी मजाक भी बिजली की तरह है आधे से ज्यादा लोगों के नसीब मे नही है
खुद पे नाज़ करना तुम्हारा हक़ है..,
क्योंकि…..
.
मैं तो नसीब वालों को ही
याद करता हूँ।
वास्ता नहीं रखना तो नज़र क्यों रखते हो,,,
किस हाल में हु जिंदा , खबर क्यों रखते हो… ..!!
गरीबी जब दरवाजे से अन्दर आती है..
.
.
.
.
.
तब
.
.
.
.
.
प्यार और मोहब्बत खिड़की से बाहर चले जाते हैं! “
बिछड़ने वाले, तेरे लिए एक मशवरा है
कभी हमारा ख्याल आए तो अपना ख्याल रखना।
वो जा रहे थे और मैं खामोश खड़ा देखता रहा,
बुज़ुर्गों से सुना था कि पीछे से आवाज़
नही देते……
अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…
हुऐ बदनाम, मगर फिर भी ना… सुधर पाये हम,
फिर वही शायरी…फिर वही इश्क…और फिर वही तुम…..!!
रात को अक्सर ठीक से नींद नहीं आती ….. घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ..