उस ज़ुल्फ़ के फंदे से निकलना नहीं मुमकिन,
हाँ माँग कोई राह निकाले तो निकाले|
Category: Urdu Shayri
इस दुनिया में
इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो,
बच्चों को बस बच्चे रहने दो|
आज लफ्जों को
आज लफ्जों को मय पीने बुलाया है,
बात बन गयी तो जरूर गजल होगी ।
बहुत से कर्ज हैं
बहुत से कर्ज हैं चुकाने ऐ उम्र जरा ठहर जा।
बात मान ले मेरी अब तो तू घर जा।
मैं क्यों कहूँ
मैं क्यों कहूँ उससे
की मुझसे बात करो..!
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क्या उसे नहीं मालूम की उसके
बिना मेरा दिल नहीं लगता ….!!!!
अपने अहसासों को
अपने अहसासों को ख़ुद कुचला है मैंने,
क्योंकि बात तेरी हिफाज़त की थी.!
यूं देखिए तो
यूं देखिए तो आंधी में बस इक शजर गया
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गया.
जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख…ऐसे मेरे दर पे रुका…और गुज़र गया….!!!
यकीं नहीं है
यकीं नहीं है मगर आज भी ये लगता है
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है … ??
कुछ नहीं है
कुछ नहीं है ख़ास इन दिनों – तुम जो नहीं हो पास इन दिनों..
बेवफाई उसकी दिल से
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।