शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना ।
गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।
Category: Urdu Shayri
जख्म गरीब का
जख्म गरीब का कभी सूख नहीं पाया,
शहजादी की खरोंच पे तमाम हकीम आ गए…
ना जाने कौन सा
ना जाने कौन सा अमृत पी के पैदा हुई है…. ये मोहब्बत, मर गए कितने हीर और रांझे मगर आज तक जिन्दा है….. ये मोहब्बत .
एक सवाल पूछती है
एक सवाल पूछती है मेरी रूह अक्सर…
मैंने दिल लगाया है या ज़िंदगी दाँव पर…
ज़िंदगी हो या कुछ और..
ज़िंदगी हो या कुछ और..
संभालने का हुनर ही तो मायने रखता है !!
हमारे पाँव का कांटा
ना हमसफ़र ना किसी हमनशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का कांटा हमीं से निकलेगा…
लहजे में बदजुबानी
लहजे में बदजुबानी, चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं…
जिनके खुद के बही-खाते बिगड़े हैं
वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं !!
दुरियों से ही
दुरियों से ही अहसास हुआ…
नजदीकियां कितनी खास थी….!!
ये छोटी छोटी यादों की
ये छोटी छोटी यादों की चिड़िया
तन्हाई में भी सुकून से नहीं रहने देती है|
अच्छा हुआ तूने
अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया मुझे
प्यार चाहिए था तेरा एहसान नही !!