तन्हा सा हो गया हूँ तेरे शहर में
बे सुध सा हो गया हूँ तेरे शहर में
लोगो की भीड़ में तुझको खोजता
मैं खुद ही खो गया हूँ तेरे शहर में दर्पण
Category: Urdu Shayri
देखकर हैरान हूं
देखकर हैरान हूं आईने का जिगर..!
एक तो कातिल सी नजर उस पर काजल का कहर
अपनी पीठ से निकले
अपनी पीठ से निकले खंजरों को गिना जब मैंने,,
ठीक उतने ही थे जितनों को गले लगाया था मैंने
तू कितनी भी
तू कितनी भी खूबसूरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी,
खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तू अच्छी नहीं लगती।
नौकरी की चाहत में
नौकरी की चाहत में दिन भर जाने भटका होगा कैसे
जिसके बटवे में रखने को कम गिनने को ज्यादा हैं
कुछ तो ऐसा भी करो
कुछ तो ऐसा भी करो कि प्यार उमडे बुजुर्गों में।
करनी सही न हुई तो मांगने से दुआ कोई नहीं देगा।।
सारे मैखाने की शराब
पिला दे आज सारे मैखाने की शराब की बोतल ए साकी अगर ग़म-ए-यार भूल गया तो तेरा मैखाना ही खरीद लूंगा |
कागज़ की कतरनों को
कागज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल
रंगों का एतबार है क्या सूंघ के भी देख|
हम वहाँ हैं
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती|
जाने किन कर्मों की सजा
मुझे न जाने किन कर्मों की सजा देते हैं.
आख़िरी घूँट हूँ ,बहुत लोग छोड़ देते हैं .!!