आज धुंध बहुत है…….
काश मै टकरा जाऊँ तुमसे..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज धुंध बहुत है…….
काश मै टकरा जाऊँ तुमसे..
मेरे दिल ने आज उसको बहुत याद कर रहा है।।दोस्त
दुआ करो की उसे भूल जाऊँ..
दिल रोज सजता है, नादान दुल्हन की तरह..!!
गम रोज चले आते हैं, बाराती बनकर..!
लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…ये बेचैनियां मोहब्बत की…
मैंने तो हर बार तुम्हे…दिल की गहराईयो से पुकारा है…
आज बहुत मेहरबान हो सनम क्या चाहते हो,
हमें पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो…
बहुत मुश्किल नहीं हैं,
ज़िंदगी की सच्चाई समझना,जिस तराज़ू पर दूसरों को तौलते हैं, उस पर कभी ख़ुद बैठ के देखिये।
नहीं मांगता ऐ खुदा, कि जिंदगी सौ साल की दे,
दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे।
आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को,
जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहिं समझता था।
कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला?
जो भी मिलता है समझा के चला जाता है।
घोंसला बनाने में ..
हम यूँ मशगूल हो गए ..!
कि उड़ने को पंख भी थे ..
ये भी भूल गए ..!!!