इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो,
नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो,
नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..
हो सकता है की मैं तेरी खुशियाँ बाँटने ना आ सकू,
गम आये तो खबर कर देना वादा है की सारे ले जाऊँगा…
मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत..
गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..
नहीं ज़रूरत मुझे तुम्हारी अब,
ख्यालात तुम्हारे काफ़ी है…..
तुम क्या जानो इस मस्ती को,
अहसास तुम्हारे काफ़ी है……
धीमी-धीमी नस चलें, रुक-रुक करके श्वास।
जीने की अब ना रही, थोड़ी सी भी आस।।
रह रह कर मुझको रुलाती है वो , आसमां से मुझको बुलाती है वो।
सुबह को कुछ है और शाम को है कुछ और,
गरीब की तकलीफ़ें अब अमीरों के लिबास जैसी है।
अच्छे होते है बुरे लोग
कम से कम अच्छे होने का दिखावा नहीं करते …..!!
लोग कहते हैं कि दुआ क़ुबूल होने का भी वक़्त होता है….
हैरान हूँ मैं किस वक़्त मैंने तुझे नहीं माँगा….
मेरे न हो सको तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसा था मुझे फिर से वैसा कर दो !!