अपनी जुबान से

अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो,
क्योंकि…
बुराइयाँ हमारे अंदर भी हैं,और जुबान दूसरों के पास भी है.!

हवाओं की भी

हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें हैं ….कहीं बुझी राख भड़का दे कहीं जलते चिराग बुझा दे!