अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो,
क्योंकि…
बुराइयाँ हमारे अंदर भी हैं,और जुबान दूसरों के पास भी है.!
Category: Urdu Shayri
बूढी आँखे पूछती है
बूढी आँखे पूछती है रात और दिन पढ़े लिखे बेटो से….
किन किताबो में लिखा है माँ को तनहा छोड़ दो.
फिर तेरी तस्वीर देखी
फिर तेरी तस्वीर देखी तुझको महसूस किया दिल ने
फिर से तस्वीर को छुपाकर रख लिया दिल ने….
हवाओं की भी
हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें हैं ….कहीं बुझी राख भड़का दे कहीं जलते चिराग बुझा दे!
मुश्किल काम दे दिया
अब तो बड़ा मुश्किल काम दे दिया किस्मत ने मुझको,
कहती है तुम तो सबके हो गए अब ढूंढो उनको जो तुम्हारे है।
रोकने में क्यों लगी है
रोकने में क्यों लगी है दुनिया…
इश्क़ है, फ़साद थोड़ी है साहब!!
किस की आँखों का
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं
मय-कदे हाथ बढ़ाते हैं जिधर जाते हैं …
साजन की आँखो मे
साजन की आँखो मे छुप कर जब झाँका,बिन होली खेले ही सजनी भीग गयी
पढ़ने वालों की कमी
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है!!
छोडो बिखरने देते हैं
छोडो बिखरने देते हैं ज़िंदगी को..
आखिर समेटने की भी एक हद होती है…