ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख…. तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!
Category: Urdu Shayri
हर आरज़ू मेरी ख़त्म हुई
हर आरज़ू मेरी ख़त्म हुई एक जुस्तजू पे आकर………!फिर चाहे इंतज़ार-ए-इश्क़ हो; या हो दीदार तेरा……….!!
उनका इल्ज़ाम लगाने का
उनका इल्ज़ाम लगाने का अन्दाज़ गज़ब था…
हमने खुद अपने ही ख़िलाफ,गवाही दे दी..
मिल सके आसानी से
मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!!!!
तुझ से दूर रहकर
तुझ से दूर रहकर मोहब्बत बढती जा रही है,क्या कहूँ, केसे कहूँ, ये दुरी तुझे और करीब ला रही है..
सुना था मोहब्बत मिलती है
सुना था मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले,
हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया|
आए थे मीर ख़्वाब में
आए थे मीर ख़्वाब में कल डांट कर गए,
क्या शायरी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा….
ग़नीमत है नगर वालों
ग़नीमत है नगर वालों लुटेरों से लुटे हो तुम,
हमें तो गांव में अक्सर, दरोगा लूट जाता है|
आपके ही नाम से
आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”.
भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…
फिर यूँ हुआ कि
फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली पकड़ कर हम..
इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..