नींद तो अब भी बहुत आती है मगर…
समझा बुझा के मुझे उठा देती हैं ज़िम्मेदारियां…!
Category: Shayri
हज़ार बार माँगा करो
हज़ार बार माँगा करो तो क्या हांसिल ,
दुआ वहीं है जो दिल से कभी निकलती हैं|
तज़ुर्बा मेरा लिखने का
तज़ुर्बा मेरा लिखने का बस इतना सा है
मैं सुनता हूँ वाह वाह अपनी ही तबाही पर
शहर का तब्दील होना
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास
रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं|
उम्र भर धुप लपेटे रहे
उम्र भर धुप लपेटे रहे तन से अपने..
हमसे पहनी ना गयी उसकी उतारी हुई शाम …!!
रिश्तों की कोई और किताब
मुझे सीखाओ ना रिश्तों की कोई और किताब!
पढीं है…..बाप के चहरे की….. झुर्रियां मैने…
नाज़ुक मिजाज है
नाज़ुक मिजाज है वो परी कुछ इस कदर..
पायल जो पहनी पाँव मै तो छम-छम से डर गई..
तू बेवफ़ा है
सुनो जान…
तू बेवफ़ा है तो इक बुरी ख़बर सुन ले
कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है|सुनो जान…
तू बेवफ़ा है तो इक बुरी ख़बर सुन ले
कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है|
तुमने शिकायतें चुनी
तुमने शिकायतें चुनी,
हमने आशिक़ी।
प्यार वो नहीं
प्यार वो नहीं जो कोई कर रहा है,
प्यार वो है जो कोई निभा रहा है …