तराजू मोहब्बत का था
बेवफाई भारी पड गयी|
Category: Shayri
कोई बतलाता नहीं
पूछता हूँ सब से कोई बतलाता नहीं
बेबसी की मौत मरते हैं सुख़न-वर किस लिए|
चंद रातों के ख्वाब
चंद रातों के ख्वाब,
उम्रभर की नींद माँगते है…!!!
आप ने तीर चलाया
आप ने तीर चलाया तो कोई बात न थी…
ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…
इन जज़्बातों पे लम्हो से
इन जज़्बातों पे लम्हो से सबक क्यूँ नही लेते…
पता भी नही चलता उम्र दबे पाँव जाती है…
तुम रख ही ना सकीं
तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर
मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर |
बहुत याद आता है
कभी आँसू….
कभी सजदे…
कभी हाथों का उठ जाना…
मोहब्बत हो जाये तो…
खुदा बहुत याद आता है…!!
मरहम लगाने वाला नहीं था
मरहम लगाने वाला नहीं था
और जख्म जल्दी भर गये ..
वो हैं के वफ़ाओं में
वो हैं के वफ़ाओं में खता ढूँढ रहे हैं,
हम हैं के खताओं में वफ़ा ढूँढ रहे हैं।
जिसके बगैर एक पल भी
जिसके बगैर एक पल भी गुज़ारा नही होता
सितम देखिये वही शख्स हमारा नही होता |