मेरी शायरियों से मशहूर है तू इस क़दर मेरे शहर में..!! दीदार किसी ने किया नहीं मग़र तारीफें हर ज़ुबान पर है….!!
Category: Shayri
दिल से पूछो
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो…. पर तुम्हारे शायद हम नहीं ।
ऐ मीर ए कारवां
ऐ मीर ए कारवां मुझे मुड़ कर ना देख तू मैं आ रहा हूँ पाँव के काँटे निकाल के..
कोई कहीं लिख दे
मुझे भी कोई कहीं लिख दे … के सांस मिले, थोड़ी जगह मिले …
पूछा जो उनसे
पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह, जुल्फों को रूख पै डालके झटका दिया कि यूँ।
एक लम्हा भी
एक लम्हा भी मसर्रत का बहुत होता है, लोग जीने का सलीका ही कहाँ रखते हैं।
बेशुमार दिल मिलते हैं
एक बाज़ार है ये दुनिया… सौदा संभाल के कीजिए… मतलब के लिफ़ाफ़े में… बेशुमार दिल मिलते हैं…
अंजाम का खयाल
आने लगा हयात को अंजाम का खयाल, जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
अगर कांटा निकल जायें
अगर कांटा निकल जायें चमन से, तो फूलों का निगहबां कौन होगा।
आँखों में छुपाए
आँखों में छुपाए फिर रहा हूँ, यादों के बुझे हुए सबेरे।