साफ दामन का दौर खत्म हुआ है अब,
लोग अपने धब्बों पर गुरूर करने लगे हैं…
Category: Shayri
जन्नत का हर लम्हा
जन्नत का हर लम्हा
दीदार किया था ।।
माँ तूने गोद मे उठा कर
जब प्यार किया था | |
अब मैं कुछ कहता नही
अब मैं कुछ कहता नही तुमसे ,,
बस लिखकर मिटा देता हूँ ,
भेजता नही हूँ तुम्हे ,
इससे मेरा कहना भी हो जाता है और तुम सुनते भी नहीं |
बड़ी अजीब सी खबर
बड़ी अजीब सी खबर फैली हैं ज़माने मैं
जो मुझे याद भी नहीं करती मुझे लगता हैं वो मेरी खबर रखती हैं|
वो जान ही गये
वो जान ही गये कि हमें उनसे मुहबबत है,
आंखो की मुखबिरी का मज़ा हमसे पूछिए..
वास्ता नही रखना
वास्ता नही रखना .. तो फिर मुझपे .. नजर क्यूं
रखती है …
मैं किस हाल में जिंदा हूँ … तू ये सब खबर क्यूं रखती है ….
कागज़ की कास्तियाँ
कागज़ की कास्तियाँ मियां समंदर मैं नहीं चलती|
किसी ने भेज कर
किसी ने भेज कर काग़ज़ की कश्ती…बुलाया है समन्दर पार मुझ को…
मियां इश्क़ से
मियां इश्क़ से पहले तो हम भी इंसान हुआ करते थे सुना है।
ना मेरा प्यार
ना मेरा प्यार कम हूआ ना उस की नफ़रत…
अपना अपना फ़र्ज़ था दोनो अदा कर गये…