वो चले गए

वो चले गए कह कर कि… भूल जाना कल से मुझे, हम अरसे से …”आज” को रोक के बैठे है

एकान्त को पिघला कर

एकान्त को पिघला कर उसमें व्यस्त रहता हूँ, इन्सान हूँ मुरझा कर भी मस्त रहता हूँ….!!

फितूर होता है

फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा, खिलौना, इश्क़, पैसा….फिर खुदा-खुदा !!

मुझ से ऐसा कोई क़ुसूर

ख़ुदा करें, मुझ से ऐसा कोई क़ुसूर हो जाए मुझे कर के क़ैद, वो अपने साथ ले जाए….

तु बेवफ़ा है

तु बेवफ़ा है तो ले एक बुरी ख़बर भी सुन ले, कि इंतज़ार मेरा कोई दूसरा भी करता है !

गज़ब की धुप

गज़ब की धुप है शहर में फिर भी लोगों के दिल यहां क्यों नहीं पिघलते ?

आप अपनी मंज़िल

आप अपनी मंज़िल पर कभी नहीं पहुँच पाएँगे अगर आप रास्ते में भोंकने वाले हर कुते को पत्थर मारेंगे ….!!!

रो रो कर ये

रो रो कर ये पुछा, मुझसे मेरे पैर के छालोँ ने..!! . . बस्ती कितनी दुर बसा ली, दिल मेँ बसने वालोँ ने..!

कच्ची मिट्टी का

कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर, ढह जाता है हकीकत की बारिश में अक्सर..

जमीन जल चुकी है

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है, दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है…! वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं, उन्हीं की आँखों में अब तक ईमान बाकी है..!! बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर, किसी का मकान गिरवी है और किसी का लगान बाकी है…!!!

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