है हमसफर मेरा तू..
अब…
मंझिल-ऐ-जुस्तजू क्या…
खुद ही कायनात हूँ…
अब….
अरमान-ऐ-अंजुमन क्या…???
Category: Shayri
दर्द छुपाना भी
दर्द छुपाना भी एक हुनर है,
वरना नमक तो हर मुठी में है..!!
वो लम्हा ज़िन्दगी
वो लम्हा ज़िन्दगी का बड़ा
अनमोल होता है
जब तेरी यादें, तेरी बातें , तेरा
माहौल होता है |
कोई रिश्ता बना के
कोई रिश्ता बना के मुतमईन होना नही अच्छा मुहब्बत आखिरी हद तक ताल्लुक आजमाती है!!
कैसे सबूत दूँ
कैसे सबूत दूँ तुझे मेरी मोहब्बत का…??
फूलों की महक देखनी हो…..
तो जज़्बात की निग़ाह चाहिये….!!
अगर फुर्सत के लम्हों मे
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना..
क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
ज़िन्दगी हो तो कई
ज़िन्दगी हो तो कई काम निकल आते है
याद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे|
मांग इतना खून मेरे
मांग इतना खून मेरे ज़ख़्मी ‘दिल से,
की बूँद भी न रहे तेरे सिंदूर के लिए..!!
कल ख़ुशी मिली थी
कल ख़ुशी मिली थी
जल्दी में थी, रुकी नहीं|
जो दिल की गिरफ्त में
जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…